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4 June-International Day of Innocent Children victim of Aggression, इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विकटम ऑफ एग्रेशन,आक्रामकता का शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

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आज  4 जून   इंटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विकटम ऑफ एग्रेशन  यानि की  आक्रामकता का शिकार हुए मासूम बच्चों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस है।  वैसे तो इस दिन की शुरवात तो बाहरी आक्रमण या युद्ध की स्थिति में शिकार हुए पीड़ित मासूम  बच्चों की  मानसिक अवस्था को स्वीकार करने और उसको सुधारने के लिए हुई थी। इसलिए आज के  दिन दुनिया भर में उन बच्चों के दर्द को समझने की जरूरत है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार हैं। इसकी  शुरुवात  इतिहास की एक घटना से हुई , जब  १९८२ में  इसराइ ल  ने लेबनान और  फिलिस्तीन  पर आक्रमण किया तो बहुत बड़ी संख्या में  लेबनानी और फिलिस्तीनी मासूम  बच्चे  इस युद्ध का  शिकार   हुए। तब जाकर  फिलिस्तीन ने इसकी शिकायत  19 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में किया कि " बड़ी संख्या में निर्दोष फिलिस्तीनी और लेबनान के बच्चों को इसराइल की आक्रामकता का शिकार हुए हैं" . तब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपनी महासभा में सं...

WORLD BICYCLE DAY( 3 JUNE) , BENEFITS OF CYCLING, HISTORY OF BYCYCLE, साइकिल चलाने के फ़ायदे

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एक वो दौर था जब घर में साइकिल का होना बड़े सम्मान की बात होती थी, आज  जैसे  घर -घर में बाइक और कार का चलन है उसी तरह उस दौर में साइकिल का चलन था।  हर घर में  साइकिल  का होना  जरूरत बन गयी थी,  हर आम और खास आदमी अपने घर में साइकिल रखता ही था।  साइकिल को आम आदमी  का वाहन भी कहते है । आज के इस  भागती- दौड़ती  समय में साईकल की उपयोगिता कम जरूर हो गयी है लेकिन खत्म नही हुई है। भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई।  1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही।  1990 के दशक में  जब भारत मे आर्थिक उदारीकरण का पदार्पण हुआ और इसी दौर में भारत मे मोटरसाईकिल  का आगमन  हुआ। इसी  दौर में स्कूटर भी आया और  हमारे देश के मध्यम वर्ग में बहुत ज्यादा लोकप्रिय रहा। युवाओ को बाइक  ज्यादा पसंद आयी  और युवाओं के बीच में बाइक ने अपनी जगह बना ली।  भारत के शहरो में साइकिल का चलन धीरे -धीरे कम होता...

SHEPHERDS OF INDIA/GADERIYA/PAL/DHANGAR /KURUBA/गड़ेरिया/ पाल/ बघेल

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                                                          SHEPHERDS  OF INDIA शेफर्ड अर्थात चरवाहा  एक ऐसा व्यक्ति है  जो भेड़-बकरिओ को चराने, खिलाने - पिलाने का काम करता है। शेफर्ड की व्युत्पत्ति पुरानी अंग्रेज़ी sceaphierde (sceap 'sheep' + hierde 'herder') से हुई है। वैदिक  काल में शेफर्ड को अविपाल, अजपाल ,मेषपाल, गोपाल आदि नामों  से जाना जाता था।   शेफर्ड का हिंदी अर्थ गडरिया है।  गडरिया शब्द हिंदी शब्द गदर से लिया गया है जिसका अर्थ है भेड़ और "जो भेड़ को पालता है " होता है। इनका प्राथमिक व्यवसाय भेड़ और बकरियों के पालन-पोषण और पालन-पोषण करना था ।  वास्तव गडरिया कोई जाति नहीं थी यह एक पेशा हुआ करता था किन्तु प्राचीन समय में पेशे से ही जाति की का नामकरण  होती थी  गडरिया जाति को एक मूल जाति माना जाता है तथा इसके साथ अन्य उपजातियां भी हैं।  गड़ेरिया समाज भारत की प्राचीन जातिय...

लोकमाता अहिल्याबाई होलकर Rajmata Ahilyabai Holkar Ji जीवन परिचय History Life Story of Ahilya Bai Holkar/ Biography

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ईश्वर ने मुझ पर जो उत्तरदायित्व दे रखा है,                       उसे मुझे निभाना है।               मेरा काम प्रजा को सुखी रखना है, मैं अपने प्रत्येक काम के लिये जिम्मेदार हूँ।  सामर्थ्य और सत्ता के बल पर मैं यहाँ- जो कुछ भी कर रही हूँ, उसका ईश्वर के यहाँ मुझे जवाब देना होगा।  मेरा यहाँ कुछ भी नहीं हैं, जिसका है उसी के पास भेजती हूँ,                जो कुछ लेती हूँ, वह मेरे उपर कर्जा है,    न जाने कैसे चुका पाऊँगी।                       – अहिल्याबाई होलकर   तो आइए जानते हैं इस महान राजमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर के बारे में –                लोकमाता अहिल्याबाई होलकर   पूरा नाम-   अहिल्याबाई खंडेराव होलकर  जन्म-  ...